awadhfirst
Culture

जय कन्हैया लाल की

पूर्ण ब्रह्म के स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण धरा धाम पर पधारे हैं।कंस की कारा से वसुदेव द्वारा गोकुल में नंद गोप और यशोदा मैया के घर ले जाते हुए मार्ग से ही उनके चरण स्पर्श की होड़ लग गई और आकुलता दिखने लगी।उन्हें सूप में रखकर ले जाते हुए देख यमुना जी ऊपर उठने लगीं;पिता वसुदेव सूप ऊपर उठाने का प्रयास करने लगे,जिसमे शिशु कृष्ण लेटे थे।अंततःकृष्ण जी ने अपना पैर नीचे कर दिया और यमुना जी ने चरण स्पर्श कर लिया फिर धारा नीचे कर ली।

गोकुल में भगवान तो सामान्य शिशु सुलभ लीला करते हुए पालने में पौढ़े हुए अपने पद पंकज का अंगूठा मुख में डालते हैं,किंतु उसके नाना प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं।दरअसल प्रलयकाल में सर्वत्र जल ही जल हो जाता है,प्रयागराज में स्थित बटवृक्ष बढ़ जाता है और उसके पत्ते पर बाल रूप भगवान लेट कर पैर का अंगूठा मुॅह में डाले रहते हैं।अब शिशु कृष्ण की पालने में लेटी इस सहज मुद्रा को देख तीनों लोकों में हलचल मच गई कि क्या प्रलय का समय आ गया?महाकवि सूरदास कहते हैं कि शंकर भगवान सोच में पड़ गये,क्योंकि उन्हें ताण्डव करना होता है,लय के प्रभारी वही हैं।विधना अगली सृष्टि रचने की योजना पर विचार करने लगे,समुद्र उफनाने लगे,बट वृक्ष लम्बायमान होने लगा।प्रलय घन मड़राने लगे।दिग्गज और शेषनाग सतर्क हो गये।आखिरकार असलियत मालूम हुई,तो स्थितियाॅ सामान्य हुईं।अरे भाई!कुतूहल तो स्वयं भगवान को भी हुवा।एक संस्कृत कवि कहते हैं कि भगवान ने सोचा कि आखिर अमृतद्रव को तिरस्कृत कर ऋषिगण मेरा चरणामृत पान क्यों करते हैं?आवो देखें क्या रस है मेरे चरणों में और फिर वे उत्सुकता वश अपने पैर का अंगूठा मुख में डाल लेते हैं।

विहाय पीयूष रसं मुनीश्वरा:ममांघ्रि राजीव रसं पिबंति किम्।
इत्थं स्वपादाम्बुजपानकौतुकी स गोपबालः श्रियमातनोतु नः।।

श्रीमद्भागवत् में रासलीला करते हुए जब वे अदृश्य हो जाते हैं,तो विरह विह्वल गोपियाॅ उन्हें चरण चिह्नों के सहारे ही खोजती हैं। “व्यचक्षत वनो देशे पदानि परमात्मनः” (श्रीमद्भागवत-10/30/24)पश्चात् उन्हें एक अन्य गोप सुंदरी के पद चिह्न साथ साथ दिखे,जो उनकी विशेष प्रिय थी।भागवत में राधा नाम का कहीं उल्लेख तो नहीं है,लेकिन कहते हैं यही गोपी राधा थी।।मथुरा के दुर्दाॅत शासक कंस ने अक्रूर को बृज भेजकर कृष्ण को कुत्सित उद्येश्य से ही बुलवा भेजा था;किंतु अक्रूर तो कृष्ण के परम भक्त थे।वे जब नंदगाॅव पहुॅचे तो झुटपुटा हो गया था।गोधूलि बेला समाप्त हो चुकी थी।कृप्ण जी गोचारणोपराॅत गोशाला में गोधन को अवस्थित करके घर जा चुके थे।रथ से जाते हुए अक्रूर ने कृष्ण के पद चिह्न पहचान लिये,फिर क्या था!वे रथ से कूद गये और चरण चिह्नो पर लोटते हुए कहने लगे कि ‘अहा!मेरे प्रभु के पैरों की धूल!अहो!मेरे प्रभु के पैरों की धूल!!

रथादवस्कन्द्य स तेष्वचेष्टत
प्रभोरमून्यंघ्रिरजांस्यहो इति।।

तभी तो राजा से साधु हुए कुलशेखर पेरूमल रचित ‘मुकुन्द माला स्तोत्र’ में कहा गया है कि “हे कृष्ण!अभी ही मेरे मानस हंस को अपने पद कमलों के पञ्जर में खूब गुम्फित हो लेने दीजिये,अंत समय का क्या ठिकाना सुध बुध रहे या कि न रहे”।

रघोत्तम शुक्ल
वरिष्ठ स्तंभकार

Related posts

ओडिशा में 1 दिन में ओमिक्रॉन के 23 नए मामले

cradmin

विंटर में इन तरीकों से करें परफेक्ट स्टाइलिंग यहां देखे वीडियो

cradmin

केन्या ने नए साल से पहले 1 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य किया हासिल

cradmin

2 comments

CheeroNoW November 20, 2024 at 11:32 pm

Although the overall findings in the area of vitamins as TB HDT is promising, significant challenges exist that impede objective interpretation of data [url=https://fastpriligy.top/]priligy side effects[/url] LeResche L, Mancl L, Sherman JJ, et al Changes in temporomandibular pain and other symptoms across the menstrual cycle

Reply
will i ovulate naturally after stopping clomid January 16, 2025 at 5:08 am

where can i buy clomid in the uk The how fast can apple cider vinegar lower blood pressure stop taking blood pressure pills opponent has so many skeleton mages, If arb antihypertensive he can control half of the opponent s skeleton mages, then this war will be over

Reply

Leave a Comment

error: Content is protected !!