सम्पादक – शारदा शुक्ला
लोकसभा चुनाव प्रारम्भ हैं।सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने एक आकर्षक नारा दिया है,”अबकी बार चार सौ पार” यानी कुल 543 सीटों में यह पार्टी अपनी झोली में इतनी सीटें आ जाने की दम भर रही है।मीडिया का एक वर्ग तरह तरह की खीचतान करके यह संख्या पौने चार सौ तक पहुॅचा भी रहा है;लेकिन जमीनी हकीकत इससे मेल नहीं खाती।
दक्षिण में इस दल का प्रभाव अत्यंत अल्प है।पश्चिम बंगाल में दूसरे नम्बर पर और ओडीसा में सत्तारूढ़ पटनायक से तालमेल न बैठ पाने के कारण काफी कम।यू पी के पश्चिमी भाग,हरियाणा,पञ्जाब में अनेक जगह भाजपा विरोधी साइन बोर्ड लगे हैं कि भाजपाई यहाॅ न आवें।विगत में केंद्रीय राज्य मंत्री सञ्जीव बालियान के काफिले पर पथराव तक हुवा,जिसमें कई भाजपाई कार्यकर्ता घायल हुए।सदा भाजपा का साथ देने वाला क्षत्रिय समुदाय इस बार विरोध में है।ठाकुर चौबीसी गाजियाबाद से पूर्व सेनापति वी के सिंह का टिकट कटने व अपने वर्ग की उपेक्षा से असंतुष्ट है और विरोध में पञ्चायतें कर रहा है।डैमेज कण्ट्रोल के लिये स्वयं मुख्यमंत्री योगी और राजनाथ सिंह के विधायक पुत्र पंकजसिंह को दौड़ना पड़ा,जो क्षत्रिय हैं।हरियाणा में मनोहरलाल खट्टर भले ही हटा दिये गये हैं,किंतु उनकी और सहयोगी रही जजपा की किसान विरोधी छवि उभर चुकी थी,जिसका प्रभाव विरोध प्रदर्शनों के रूप में वहाॅ साफ दिख रहा है।राजस्थान में असंतुष्ट वसुंधरा राजे सिंधिया,स्टार प्रचारक होते हुए भी,अपने पुत्र दुष्यंतसिंह के निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ के अतिरिक्त कहीं पार्टी प्रचार में नहीं जा रहीं है।वे प्रधानमंत्री की सभा में भी नहीं गईं।उनका जनता पर प्रभाव है और विगत विधानसभाई चुनावों की सभावों में राजनाथ और गडकरी उनकी तारीफ करते रहे हैं।यही हाल मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह का है,जिन्हें मोदी-शाह ने किनारे लगा दिया है।शिवराज केवल विदिशा तक अपने को सीमित किये हैं,जहाॅ से वे खड़े हैं।पीलीभीत से टिकट कटने के बाद यहाॅ से साॅसद वरुण गाॅधी यहाॅ के चुनावी प्रचार से दूर हैं।उनका टिकट कटने से सिख खास तौर से नाराज़ हैं।नेहरू-गाॅधी परिवार से होने के कारण वरुण की राष्ट्रीय पहचान है। उत्तराखण्ड में अग्निवीर योजना को लेकर गहरा असंतोष है;यहाॅ बहुसंख्यक फौजी हैं।बिहार में अब मोदी और नीतीश मञ्च साझा नहीं कर रहे हैं।एक सभा में नीतीश चार सौ को चार हजार कह गये,तो मोदी उनके मुॅह की तरफ देखने लगे।साथ ही अब तक कथित सेकुलर पाले में रहे नीतीश अपने मुख्यमंत्रित्व काल मे सामाजिक सद्भाव की बात रेखांकित कर देते हैं,जिसका मतलब हिंदू मुस्लिम एकता से होता है,कितु भाजपा हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण चाह रही है।अतः भाजपा कार्यकर्तावों को यह एकता-राग रास नहीं आता है। इस बार विपक्षी गठबंधन काफी कुछ मिलकर टक्कर दे रहा है,भले ही बाद में आपस में लड़ें।
ऐसे में चार सौ पार का यह नारा अतिरञ्जित और अहंकार मूलक ही लग रहा है और सहयोगी दल तो कभी भी कहीं खिसक सकते हैं।
रघोत्तम शुक्ल
स्तंभकार