जागेश्वर धाम उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक शिव धाम है ।इसकी विशेषता ये है कि चारों ओर पहाड़ियों से घिरा सघन देवदार के वृक्षों की छाया में बसा मंदिर समूह है यहां छोटे बड़े लगभग 250 मंदिर है । इनमें मुख्यतया शिव के विभिन्न रूपों के दर्शन होते हैं जैसे महामृत्युंजय ,केदार आदि। शिव के अलावा अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर यहां पर हैं जिनमें कुबेर और माता के मंदिर विशेषकर शामिल हैं । लगभग प्रत्येक मंदिर अलग दिशा की ओर मुख करके बना है। हर शिव लिंग के सम्मुख गर्भ गृह के बाहर बैठे हुए नंदी बिराजमान हैं। मुख्य मंदिर यानि जागेश्वर मंदिर के बाहर द्वारपाल की भी मूर्ति है। जागेश्वर भगवान भोलेनाथ का बाल स्वरूप हैं इसलिए यहां दाल चावल का भोग चढ़ाया जाता है। किंवदंती है कि प्राचीन काल में कश्मीरी पंडितों को लाकर यहां बसाने की नीयत से उन्हें मंदिरों में पुरोहित का काम दिया गया था । वो कश्मीरी पंडित आज के कुमाऊं के भट्ट ब्राह्मण हैं।
द्रविड़ शैली के बने इन मंदिरों का निर्माण कत्यूरी राजाओं ने कराया था। प्रकृति की गोद में स्थित इस अनमोल धरोहर को जिस रखरखाव और शोध की आवश्यकता है वो अभी कोसों दूर हैं। उत्तराखंड सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
शारदा शुक्ला ।
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