अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी “फैजाबाद” थी। वर्तमान समय मे अयोध्या जिले मे आता है। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रारम्भ में “अयोध्या” थी किन्तु बाद में लखनऊ आई थी। अयोध्या हिंदू आस्था की आत्मा भगवान राम की जन्मभूमि है।
अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्रायः स्वतंत्र थे। चूंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अतः अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा – लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, प्रयागराज, बाराबंकी, ( रामायण काल में बाराबंकी को वराहवन यानि सुअरों का जंगल कहा जाता था)अयोध्या, अम्बेडकर नगर, प्रतापगढ़ , बहराइच, बलरामपुर, गोंडा (इस क्षेत्र को इक्ष्वाकु वंशियों की गोशाला के रूप में जाना जाता था ) हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती उन्नाव ( उन्नाव को राम के 16 वें वंशज,राजा उन्नाभ ने बसाया था) फतेहपुर, कानपुर,(कानपुर के निकट बिठूर में बाल्मीकि आश्रम में लव-कुश का जन्म हुआ) (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है।
मध्यकालीन समय मे में अवध की राजधानी “फैजाबाद (अयोध्या)” थीं।1856 में अंग्रेज़ों ने अवध को अपने अधिकार में कर लिया। 1857 के विद्रोह में अवध अंग्रेजों के हाथ से निकल गया था परंतु डेढ़ वर्ष की लड़ाई में अंतिम विजय अंग्रेजों की हुई। 1902 में आगरा और अवध के प्रांतों को एक में मिलाकर नया प्रांत बनाया गया जिसका नाम आगरा और अवध का “संयुक्त प्रांत” रखा गया, जिसे संक्षेप में “संयुक्त प्रांत” अथवा अंग्रेजी में केवल “यू.पी.” कहा जाता था। इसी प्रांत का नामकरण उत्तर प्रदेश हो गया है जिसे अंग्रेजी में लिखे नाम के आदि अक्षरों के आधार पर अब भी “यू.पी.” कहा जाता है। इतिहास गवाह है कि हम आज जिस गंगा जमुनी संस्कृति की बात करते हैं दरअसल वो इसी अवध क्षेत्र में पनपी।
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